Saturday, July 31, 2010

वो दरम्यां के दिन नहीं........

वो दरम्यां के दिन नहीं ,
वो तुम नहीं ,
वो हम नहीं .
न वो फ़ुर्सते-वक्ते-सहर,
नूरे-शबा का 
असास है,
न वो ज़र्फ़ वो
फर्ज़ानगी, जादे-सफ़र
मेरे पास है .
न वो माईले-परवाज़
मन ,
न वो ख्वाबीदा
कलियाँ कहीं ,
न वो बादवां,सहने-
चमन,
बेमानियाँ बातें
रही.
न वो इन्तहा-ए-सादगी,
न वो नग्मा-ए-कोकब
कहीं,
न वो हर्फ़े-शीरीं,
हुक्मे-मानी,
रौनके-हस्ती
रही .
न वो फल्सफयाना
हमनवा,
न वो हमख्याल न
हमइना,
न वो ज़ाफरानी
रंगे-बू,
शाख़े-सजर
हसरत
रही.
बस मुसलसल
बारे-ग़म का, है
तलातुम,
और समय की
बेखबर,
रफ़्तार है,
साथ वो बीता सफ़र,
बीते सफ़र का
प्यार है.
असास- पूंजी,ज़र्फ़-सामर्थ्य ,फ़रज़ानगी-बुद्धिमत्ता ,जादे-सफ़र-यात्रा का साथी,माईले-परवाज़-आसमान में उड़ान भरनेवाला, ख्वाबीदा-ख्वाबों में खोई,कोकब-सितारे,हर्फ़े-शीरीं- मीठे -बोल ,हुस्ने-मानी-विश्व का सोंदर्य ,
हमनवा -परस्पर बात करनेवाले ,हमइना-सहगामी,मुसलसल-निरंतर ,बारे-ग़म-ग़म का बोझ ,तलातुम-उथल -पुथल